By using this site, you agree to the Privacy Policy
Accept
October 29, 2025
  • World
  • India
  • Politics
  • Sports
  • Business
  • Tech
  • Fourth Special
  • Lifestyle
  • Health
  • More
    • Travel
    • Education
    • Science
    • Religion
    • Books
    • Entertainment
    • Food
    • Music
Reading: किस्सा लोकसभा चुनावों का!
Font ResizerAa
Search
  • World
  • India
  • Politics
  • Sports
  • Business
  • Tech
  • Fourth Special
  • Lifestyle
  • Health
  • More
    • Travel
    • Education
    • Science
    • Religion
    • Books
    • Entertainment
    • Food
    • Music
Follow US
IMG 1839 -
Politics

किस्सा लोकसभा चुनावों का!

इस बार 18वीं लोकसभा के लिए लोग मतदान करेंगे।

Last updated: मार्च 28, 2024 3:11 अपराह्न
By Rajneesh 2 वर्ष पहले
Share
6 Min Read
SHARE

चुनावी बिगुल बज गया है, प्रत्याशियों की धड़कने तेज़ हैं। सूरत ए हाल ये है कि साम, दाम, दंड, भेद! जिससे जो बन पड़ रहा है, वो वैसा कर गुजरने के लिये तैयार है। एक बार फिर से देश के लोग अपने प्रत्याशी को चुनने के लिए बिल्कुल तैयार हैं। राजनीतिक पार्टियां देश की सत्ता पाने के लिए रणनीति बनाने में जुट गई हैं। पुराने समय मे बैलट पेपर के जरिए वोटिंग होती थी, अब ईवीएम के जरिए मतदान हो रहा है। टेक्नोलॉजी में विस्तार की वजह से वोटिंग के तरीके बदले हैं। 2004 से हर लोकसभा चुनाव EVM के जरिये हो रहा है। आज के समय में चुनाव आयोग के लिए निष्पक्ष और सुचारु ढंग से चुनाव कराना महंगा हो गया है। क्योंकि एक बड़ा फंड EVM खरीदने और उसके रख-रखाव पर जाता है। इस बार 18वीं लोकसभा के लिए लोग मतदान करेंगे। सोशल मीडिया से लेकर न्यूज चैनल और अखबारों तक चुनावों की खबरें छाई हुई हैं। इलेक्शन के समय में चुनाव प्रचार बहुत अहम भूमिका निभाता है। समय समय पर कुछ ट्रेंड उभर के आते है। जो समय बीतने के साथ गायब भी हो जाते हैं। इस लेख मे हम बात करेंगे कि कैसे साल दर साल चुनावों के प्रचार प्रसार के तरीकों मे बदलाव आया है।

बात की जाए भारत के पहले लोकसभा चुनाव की तो वह साल 1951 में हुए थे । साल 1951 में पहला लोकसभा का चुनावी कार्यक्रम तो आयोजित किया गया था। पर इसमें कुछ बड़ी चुनौतियां भी सामने आईं थी। उस समय 85 प्रतिशत लोग अशिक्षित थे। टीवी नहीं थे। रेडियो की संख्या भी बहुत कम थी। संचार का कोई भी ऐसा माध्यम नहीं था जो लोगों तक सीधी अपनी पहुंच रखता हो। इसीलिए उस दौर मे पार्टियों और चुनाव प्रचार करने के लिए चुनावी जनसभा और नुक्कड़ सभाओं की मदद लेते थे। नुक्कड़ सभाओं के लिए बाजार के आसपास के इलाकों को देखा जाता था। इस चुनाव में लोकसभा की 489 सीटों के लिए वोट डाले गए थे। इसमें कांग्रेस को 364 सीटें मिली थीं, जबकि जनसंघ को तब केवल 3 सीटों से संतोष करना पड़ा था।

अगले पांच चुनावों मे धीरे-धीरे प्रचार करने का ट्रेंड बदल गया है। चुनावों के दौरान सड़कों से लेकर गली-मोहल्लों में कार, रिक्शा और ऑटो समेत अन्य गाड़ियों में लाउडस्पीकर लगाकर। अपने अपने पार्टी के झंडे लिये रैलियां निकालने लगे। पोस्टरों पर चुनावी नारों को जगह दी जाने लगी। चौथा चुनाव साल 1967 में 520 सीटों के लिए कराया गया था, जिसमें कांग्रेस आगे तो रही पर उसकी सीटें तीन सौ के नीचे आ गईं और उसे 283 सीटों पर जीत मिली थी। धीरे-धीरे आगे बढ़ रही जनसंघ को 35 सीटों पर जीत हासिल हुई। वहीं, वामपंथी दलों में सीपीआई को 23 और सीपीएम को 19 सीटों पर विजय मिली थी।कांग्रेस को साल 1977 के चुनाव में जनता पार्टी ने बुरी तरह पटखनी देकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। इसमें कांग्रेस को केवल 154 सीटें मिलीं, जबकि जनता पार्टी ने 542 में से 298 सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि, 1980 में हुए अगले ही चुनाव में कांग्रेस फिर सत्ता में आ गई और राजनैतिक समीकरणों मे बदलाव आने लगे।

1984 में हुए चुनाव में कांग्रेस को आम लोगों की ऐसी सहानुभूति मिली की उसने जीत दर्ज करते हुए 415 सीटें हासिल कर लीं। इंदिरा की हत्या के बाद कांग्रेस को राजनीतिक करियर की सबसे बड़ी जीत मिली। 1996 में हुए ग्यारहवें लोकसभा चुनाव के दौरान पहली बार भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और उसे 161 सीटें मिलीं। अगला चुनाव 1998 में हुआ तो भी भाजपा ही सबसे बड़ी पार्टी थी। उसे 182, कांग्रेस को 141 सीटें मिलीं। 13वें लोकसभा चुनाव में भी भाजपा की स्थिति बरकरार रही और उसे 1999 में 182 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस 114 सीटों पर सिमट गई थी। 2004 में कांग्रेस की स्थिति थोड़ी सुधरी और उसने 145 सीटें हासिल कीं, जबकि भाजपा 138 सीटों पर ही जीत सकी थी। 2009 के चुनाव में कांग्रेस को 206 और भाजपा को 116 सीटें मिली थीं।

2014 में लोकसभा का 16वां आम चुनाव शुरू हुआ तो नरेंद्र मोदी की लहर बन चुकी थी। ये ट्रेंड 2019 मे भी जारी रहा। अब के दौर मे राजनीतिक पार्टियां और प्रत्याशी सोशल मीडिया के उन तमाम प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं, जिनकी पहुंच आम आदमी तक बहुत ही आराम और आसानी से होती है। इसके लिए इंस्टाग्राम, यू ट्यूब, एक्स, फेसबुक, एमएमएस, वाट्सऐप, विशेष प्रचार के लिए बनाए जाने वाले ऐप, टीवी, पहले से रिकॉर्ड संदेश, एआई के जरिए प्रचार, स्नैपचैट, ई-मेल, वेबसाइट, सीरियल समेत न्यूज या अन्य किसी कार्यक्रम के बीच में दिए जाने वाले चुनावी विज्ञापन के अलावा सोशल मीडिया के तमाम माध्यम से चुनावी प्रचार किया जाता है।

You Might Also Like

यदि कविता न होती?

ट्रंप बंद करेंगे Department of Education…इससे क्या बदलाव होंगे?

गेर में जमकर उमड़ा इंदौरियों का उल्लास

वो पुराने दिन : विद्रोह से जलता तिब्बत और भारत-चीन का संघर्ष

International Day of Happiness में जानिये की ख़ुशी जीवन का सार है या मात्र एक छलावा?

TAGGED: bjp, congress, EVM, india, lok sabha, Lok Sabha election, politics, rally, thefourth, thefourthindia
Share This Article
Facebook Twitter Whatsapp Whatsapp LinkedIn
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0

Follow US

Find US on Social Medias

Weekly Newsletter

Subscribe to our newsletter to get our newest articles instantly!

Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
Loading

Popular News

mp elections 2023 19 -
Politics

वोट शेयर: कांग्रेस को आधा फीसद का नुकसान, भाजपा को 7.50 फीसद का फायदा !

2 वर्ष पहले

अमेरिका में बेटी ने 30 बार लोहे के तवे से वार कर मां को मार डाला

सुज़ैन कैन की किताब जिसने खड़ा कर दिया Quite Revolution

ISRO लॉन्च कर रहा है चंद्रयान 3!

वोटिंग पर्सेन्ट मे गिरावट लोकतंत्र के लिए चिंताजनक विषय

You Might Also Like

WhatsApp Image 2025 03 18 at 3.34.50 PM -
Fourth Special

होली के बाद अब रंगपंचमी पर होगी रंगों की बौछार

7 महीना पहले
WhatsApp Image 2025 03 18 at 4.02.02 PM -
India

औरंगज़ेब विवाद ने भड़का दी नागपुर में हिंसा!

8 महीना पहले
rowlatt act cultural india 3 -
Fourth Special

वही दिन, वही दस्तां : आज लगा था बेड़ियों में बांधने वाला Rowlatt Act जिसने भड़काई क्रांति की चिंगारी !

8 महीना पहले
WhatsApp Image 2025 03 18 at 3.06.18 PM -
World

गाज़ा में इज़राइली हवाई हमलों से भारी तबाही, 330 से अधिक मौतें

8 महीना पहले
  • About Us
  • Contact
  • Privacy Policy
  • Careers
  • Entertainment
  • Fashion
  • Health
  • Lifestyle
  • Science
  • Sports

Subscribe to our newsletter

Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
Loading
© The Fourth 2024. All Rights Reserved. By PixelDot Studios
  • About Us
  • Contact
  • Privacy Policy
  • Careers
Welcome Back!

Sign in to your account

Register Lost your password?