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Reading: ईरानी महिलाओं की आज़ादी पर हिजाब कानून की नई मार
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ईरानी महिलाओं की आज़ादी पर हिजाब कानून की नई मार

महसा अमीनी के बाद भी नहीं रुका ईरान में महिलाओं का संघर्ष

Last updated: दिसम्बर 12, 2024 5:35 अपराह्न
By Divya 11 महीना पहले
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4 Min Read
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ईरान एक ऐसा देश है जहां पर कानून बहुत ही सख्त हैं। ईरान की संसद में एक और कानून पास किया गया है, जो हिजाब से जुड़ा है। इस कानून के तहत सही तरीके से हिजाब न पहनने या हिजाब का विरोध करने वाली महिलाओं को कठोर सज़ा दी जाएगी। हालांकि, खुद ईरान के राष्ट्रपति ने इसे सही नहीं बताया है। इन कानूनों के अनुसार अगर कोई महिला एक से ज्यादा बार इस कानून का उल्लंघन करती है, तो उसे 15 साल तक की जेल या फांसी की सजा का सामना करना पड़ सकता है। इस नए कानून के अनुच्छेद 60 के तहत दोषी महिलाओं को जुर्माना, कोड़े की सजा या कठोर जेल की सजा भी हो सकती है। पर आखिर ये कानून क्या है पहले और अब में इस कानून से ईरान में क्या बदलाव आ जाएगा?

कैसा था पहले ईरान में हिजाब कानून?

अगर हम पहले कानून कैसा था हिजाब कानून उसकी बात करे तो यह देखने में पुराना ही कानून लगता है, लेकिन इस नए कानून में सबसे नया पहलू इसमें बढ़े हुए सजा के प्रावधान हैं। पहले के समय इस कानून के उल्लंघन पर दोषी महिलाओं के लिए 10 दिन से लेकर दो महीने की सज़ा और 5 हजार से 5 लाख तक का जुर्माना शामिल था जो कि, भारतीय मुद्रा के अनुसार एक हजार रुपए है।

क्या है हिजाब कानून का मकसद?

ईरान सरकार का कहना है कि, “पवित्रता और हिजाब” कानून का मकसद हिजाब कल्चर को बनाए रखना है। ईरान का ये भी कहना है कि, अच्छे से कपड़े न पहनने, ठीक से चेहरा न ढकने पर कड़ी सजा दी जा सकती है। इस बिल को पारित करने के पक्ष में बुधवार को 152 सदस्यों ने मत दिया, जबकि विरोध में केवल 34 मत ही पड़े। इस नए कानून में साफ तौर पर कहा गया है कि अगर कोई भी महिला सार्वजनिक स्थलों पर अनुचित कपड़े पहने पाई गई तो उसे चौथे दर्जे की सज़ा दी जाएगी। ईरान में साल 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से ईरान ने औरतों को सभी जगहों पर बाल ढकने का कानून लागू किया था।

क्या है महसा अमीनी विवाद?

सितंबर 2022 में ईरानी कुर्दिश महिला महसा अमीनी को हिजाब कानून तोड़ने के लिए गिरफ्तार किया गया था। जिसकी उम्र 22 साल थी। जिसके बाद महसा अमीनी की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। लोगों ने इल्जाम लगाया कि, पुलिस ने महसा को हिरासत में लेने के बाद उसके साथ बहुत दुर्व्यवहार किया जिससे उसकी मौत हुई थी। जबकि पुलिस का कहना था कि, महसा की मौत हार्ट अटैक से हुई थी। महसा की गिरफ्तारी और मौत इसके बाद पूरे ईरान में हिजाब के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए थे। इन विरोध प्रदर्शनों में 200 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। जिसे काबू करने में ईरानी प्रशासन को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा था।

पत्रकारों और एक्टिविस्टों का विरोध

इस कठोर कानून के खिलाफ 140 से ज्यादा पत्रकारों ने आवाज़ उठाई है, इसे नागरिक अधिकारों का उल्लंघन और प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताया है। वहीं, दूसरी ओर महिला अधिकारों पर बात करने वाले संगठन पहले से ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं। पत्रकार और एक्टिविस्ट मसीह अलीनेजाद ने इस कानून को महिलाओं को कुचलने, उनकी आवाज़ दबाने, समानता की लड़ाई को खत्म करने का सोचा-समझा हथियार बताया है। उन्होंने कहा कि, “यह कोई कानून नहीं है यह आतंक का एक हथियार है।”

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