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He started contesting elections in 2001 and defeat 1712597142231 -
Politics

फुल टाइम बर्तन विक्रेता “छेदू”, चुनाव के वक्त बन जाते है उम्मीदवार

छेदू इस बार 12वीं बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं।

Last updated: अप्रैल 9, 2024 7:14 अपराह्न
By Urva Richhariya 2 वर्ष पहले
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3 Min Read
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आपने चुनाव के वक्त कार में बैठे नेताओं को बड़ी-बड़ी रैलियों में लोगों से वोट मांगते तो देखा ही होगा। लेकिन क्या आपने कभी साईकिल में बर्तन बेचते हुए किसी को अपने लिए वोट मांगते हुए देखा है? इसी तरह उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में छेदू चमार (50 वर्षीय) नाम के एक नेता है, जो पेशे से एक बर्तन विक्रेता है। वह तपती हुई धूप में घर-घर जाकर बर्तन बेचते हैं, लेकिन जैसे ही चुनावी मौसम आता है वह एक समर्पित राजनीतिक दावेदार के रूप में बदल जाते है।

छेदू पिछले 24 सालो में 11 बार चुनाव लड़ चुके हैं (लोकसभा और राज्यसभा) और यह 12वीं बार है जब उन्होंने अपना नाम कौशांबी निर्वाचन क्षेत्र से नामांकित किया है। 2017 के विधानसभा चुनाव में छेदू को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य जैसे कई बड़े राजनेताओं का सामना करने का मौका भी मिल चुका है।

छेदू ने अपना राजनीतिक सफर 2001 में शुरू किया था। 2001 में क्षेत्रीय पंचायत चुनाव में उन्होंने अपने ही एक रिश्तेदार को 195 वोटों से पराजित किया था। हालांकि, उन्हें अपनी बड़ी जीत मात्र एक बार 2002 में मिल पाई थी। 2002 में उन्हें ब्लॉक विकास परिषद के सदस्य बनने का अवसर मिला था।

छेदू अपने दम पर दो बार लोकसभा चुनाव (2014 और 2019 में) और दो बार विधानसभा चुनाव (2012 और 2017 में) भी लड़ चुके है। इसके अलावा उन्होंने जिला पंचायत चुनावों में भी तीन बार भाग लिया है। लेकिन परिणाम स्वरूप वह हर चुनाव में विफल ही रहे।

हार के बाद उन्होंने अपनी पत्नी उर्मिला देवी को भी राजनीति के मैदान पर उतारा था। उर्मिला ने 2006 और 2015 के जिला पंचायत चुनावों में भाग लिया था लेकिन वह भी उसमें असफल रही थी, जिसके बाद उन्होंने फिर कभी भी चुनावी मैदान पर अपना पैर नहीं रखा। लेकिन इसके बावजूद छेदू ने अपनी हिम्मत नहीं हारी और उसके बाद भी वह चुनाव लड़ते रहे।

छेद्दू हर चुनाव में अपनी साइकिल पर अपने लिए वोट मांगते हैं। वह अपने निर्वाचन क्षेत्र में घूमते हैं और ‘एक घर, एक वोट’ का बैनर लेकर लोगों से घर-घर जाकर उनसे मिलते हैं। वह कहते है कि उनके पास रैली में लगाने के लिए ज्यादा पैसे नहीं है लेकिन उन्हें लोगों के पास जाकर उनसे बात करना और अपने लिए वोट मांगना अच्छा लगता है। वह कहते है कि इतनी बार चुनाव हारने के बाद भी उन्होंने सांसद और विधायक बनने की उम्मीद छोड़ी नहीं है।

छेद्दू का यह सफर और उनकी हिम्मत बाकी सभी लोगों के लिए एक उद्धारण है कि, कैसे एक साधारण मनुष्य कुछ भी कर सकता है। बस खुदमे हिम्मत और जज़्बा होना चाहिए।

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TAGGED: election, elections candidate, kaushambi, Lok Sabha election, thefourth, thefourthindia, utensil seller, Uttar Pradesh
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