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Reading: दशहरे का त्योहार, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक
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dussehera -
Religion

दशहरे का त्योहार, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक

दशहरा हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है।

Last updated: अक्टूबर 12, 2024 11:07 पूर्वाह्न
By Divya 1 वर्ष पहले
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5 Min Read
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“रावण के बुरे गुणों को छोड़, आओ अच्छाई की ओर बढ़ें, विजयदशमी के पावन पर्व में भलाई के आदर्शों पर चलें।”

हमारे देश में दशहरे के त्योहार को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। यह एक महत्वपूर्ण और हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है, जो हर साल अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध केदौरान महिषासुर का वध कर विजय प्राप्त की थी। इस दिन लोग ना केवल बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाते हैं, बल्कि अपने जीवन में सकारात्मकता और सत्य को अपनाने का संकल्प भी लेते हैं। पंचांग के अनुसार आश्विन शुक्ल दशमी तिथि 12 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से शुरू होगी और 13 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 8 मिनट तक रहेगी।

क्यों मनाया जाता है दशहरा ?

14 वर्ष के वनवास के दौरान लंकापति रावण ने जब माता सीता का अपहरण किया, तो भगवान राम ने हनुमानजी को माता सीता की खोज करने के लिए भेजा था। हनुमानजी को माता सीता का पता लगाने में सफलता प्राप्त हुई और उन्होंने रावण को लाख समझाया कि, माता सीता को सम्मान सहित प्रभु श्रीराम के पास भेज दें। रावण ने हनुमानजी की एक बात नहीं मानी और अपनी मौत को निमंत्रण दे डाला। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने जिस दिन रावण का वध किया, उस दिन शारदीय नवरात्र की दशमी तिथि थी। राम ने 9 दिन तक मां दुर्गा की उपासना की और फिर 10वें दिन रावण पर विजय प्राप्त की।

नीलकंठ पक्षी को देखना होता है शुभ

पौराणिक मान्यता है कि, भगवान राम महादेव भगवान शिव के उपासक थे। रावण का वध करने से पहले भगवान राम ने नीलकंठ पक्षी का दर्शन किए थे। महादेव का भी एक नाम नीलकंठ है। सागर मंथन के बाद निकले विष को भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण कर लिया था, जिसके कारण उनका कंठ नीला हो गया था। हिन्दू परंपरा में दुर्गा पूजा के विजयादशमी के दिन नीलकंठ पक्षी को देखना अत्यंत शुभ संकेत माना जाता है। इसके दर्शन महिषासुर, चंड-मुंड, शुंभ-निशुंभ आदि और भगवान राम की रावण पर विजय के रूप में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।

इन जगहों पर बड़ी धूम-धाम से मनाते है दशहरा

मैसूर: भारत के कर्नाटक राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर मैसूर,विजयादशमी का असली आनंद लेने के लिए विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है। कर्नाटक में दशहरा मनाने की परंपरा 400 साल से भी ज़्यादा पुरानी है। इस शुभ अवसर पर मैसूर शहर का पूरा महल जगमगा उठता है।

दिल्ली: भारत की राजधानी दिल्ली भी दशहरा के त्योहार को अलग अंदाज में मनाती है। यह त्योहार लगातार मौज-मस्ती, धूमधाम और नृत्य के साथ मनाया जाता है। यह शहर बेहतरीन रामलीला नाटक की मेज़बानी के लिए भी मशहूर है।

कुल्लू: कुल्लू भारत का सबसे बेहतरीन पर्यटन स्थल है। कुल्लू में भी दशहरे के त्योहार को एक शाही उत्सव को तरह मनाया जात है,जो 7-8 दिनों तक चलता है। यह शहर अपनी विरासत के लिए भी प्रसिद्ध है।

वाराणसी: विजयादशमी का त्योहार मनाने के लिए वाराणसी एक और खूबसूरत भारतीय गंतव्य है। यह देश के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। दिल्ली की तरह वाराणसी में भी रामलीला के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

बरहा: दशहरे के दौरान बरहा आकर्षण का केंद्र बन जाता है। आपको इसके अनोखे उत्सव के लिए इस जगह पर अवश्य जाना चाहिए।

इस दिन रावण के बुरे कर्मों पर श्रीरामजी की अच्छाइयों की जीत हुई, इसलिए इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के त्योहार के रूप में भी मनाते हैं। इस दिन रावण के साथ उसके पुत्र मेघनाद और उसके भाई कुंभकरण के पुतले भी जलाए जाते हैं।

आप सभी को ‘The Fourth’ की ओर से विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

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