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Reading: भारत – कनाडा विवाद : भारत के तीखे तेवर का असर, कनाडा की पोल खुली!
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भारत – कनाडा विवाद : भारत के तीखे तेवर का असर, कनाडा की पोल खुली!

कनाडा की सफाई के बावजूद दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव आगे बरकरार रहेगा।

Last updated: नवम्बर 23, 2024 3:17 अपराह्न
By Rajneesh 11 महीना पहले
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10 Min Read
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भारत-कनाडा के बीच पिछले एक साल से चल रहा तनाव जग जाहिर है। कनाडा से भारत के रिश्ते अचानक ही तल्ख नहीं हुए, इसके पीछे लंबी कहानी है। कनाडा ने भारत पर ऐसे आरोप लगा दिए, जो पूरी तरह से बेबुनियाद थे। आरोप तो लगा दिए, लेकिन कनाडा ये भूल गया कि उनको साबित करने के लिए सबूतों की भी जरूरत होगी, जो उसके पास थे ही नही। पूरे मामले के मेन विलेन और कोई नहीं खुद कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो हैं।

दोनों देशों के संबंध इतने खराब हो गए कि भारत को सख्त एक्शन लेते हुए न सिर्फ कनाडाई राजदूतों को अपने देश से वापस जाने के लिए कहना पड़ा बल्कि अब कनाडा को लताड़ भी लगानी पड़ी। ध्यान देने वाली बात ये है कि जब भारत ने कनाडा को पत्र लिखा तो उसमे जिस तरह की कड़ी भाषा का चयन किया गया था वैसी तीखी भाषा का प्रयोग भारत ने अधिकारिक रूप से आज तक पाकिस्तान के सम्बंध मे भी उपयोग नहीं की।

इस कहानी की शुरुआत पिछले साल सितंबर के महीने में हुई जब कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का एक बयान आया जिसमें ट्रूडो ने निज्जर की हत्या में भारत का हाथ होने का आरोप लगाते हुए कहा था कि उनके पास हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों के शामिल होने के ठोस सबूत हैं, जिसकी कनाडा जांच कर रहा है। उन्होंने भारत पर यह भी आरोप लगाया था कि भारत सरकार हरदीप सिंह निज्जर की हत्या मामले की जांच में सहयोग नहीं कर रही है। इसके अलावा कनाडा की रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस ने कहा था कि कनाडा में हो रही हिंसा में भारत की बड़े पैमाने पर भूमिका है। इस पूरे मुद्दे पर भारत-कनाडा के रिश्ते काफी प्रभावित हुए थे।

आरोप – प्रत्यारोप के लंबे सिलसिले के बाद कनाडा अब बैकफुट मे क्यूँ है ये समझने से पहले एक बार बेबुनियाद आरोपों की पूरी टाइमलाइन समझ लेते हैं।

सितंबर 2023 : ये सिलसिला पिछले साल सितंबर से शुरू हुआ कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर निज्जर की हत्या में शामिल होने के आरोप लगाए थे।

सितंबर 2023 : कनाडा ने कहा था कि खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों के शामिल होने के विश्वसनीय सबूत उनके पास हैं। हरदीप सिंह निज्जर की हत्या मामले की जांच में भारत सरकार सहयोग नहीं कर रही।

अक्टूबर 2024 : कनाडाई रॉयल कनेडियन माउंटेड पुलिस ने कहा था कि कनाडा में हो रही हिंसा में बड़े पैमाने पर भारत की भूमिका है।

अक्टूबर 2024 : कनाडा ने कहा कि भारत सरकार के सीनियर मंत्री ने कनाडाई नागरिकों को धमकी देने या हत्या करने की मंजूरी दी।

अक्टूबर 2024 : कनाडा ने आरोप लगाया कि भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने ऑर्डर दिए थे कि कनाडा में सिख अलगाववादियों के खिलाफ अभियान चलाया जाए।

अक्टूबर 2024 : कनाडा के मुताबिक, भारत के गृहमंत्री अमित शाह को भी निज्जर की हत्या की साजिश के बारे में जानकारी दी गई थी।

अक्टूबर 2024 : कनाडा का ये भी कहना है कि पीएम मोदी को खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की साजिश की जानकारी थी।

अक्टूबर 2024 : कनाडा ने ये भी कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को भी निज्जर की हत्या की साजिश के बारे में पता था।

अक्टूबर 2024 : भारत से कनाडाई राजनयिकों को निकाले जाने के बाद पीएम जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया था कि भारत कनाडा में मौलिक गलती कर रहा है।

अक्टूबर 2024 : राजनयिक विवाद पर ट्रूडो ने कहा कि भारत सरकार ने उनकी अपील को न मानकर समस्या से निपटने की कोशिशों को भी ठुकरा दिया।

नवंबर 2024 : साइबर तकनीक के जरिए भारत कनाडा में खालिस्तानियों पर नजर रख रहा है।

नवंबर 2024 : कनाडा के संचार सुरक्षा प्रतिष्ठान के प्रमुख कैरोलीन जेवियर ने आरोप लगाया था कि भारत कनाडा पर बड़ा साइबर अटैक कर सकता है।

नवंबर 2024 : कनाडा सरकार की वेबसाइट को निशाना बनाए जाने की बात भी कही गई थी।

इसके अलावा कनाडा की जासूसी एजेंसी कम्युनिकेशन सिक्योरिटी एस्टैब्लिशमेंट ने खतरा पैदा करने वाले देशों की सूची में भारत को शामिल कर दिया था। यह पहली बार था जब कनाडा की सरकार की इस लिस्ट में भारत का नाम आया। बता दें कि इस लिस्ट में 2025-26 में खतरा पैदा करने वाले देशों के नाम हैं। इसमें भारत को चीन, रूस, ईरान, उत्तर कोरिया के बाद पांचवें नंबर पर रखा गया. इसमें कहा गया कि भारत सरकार आधुनिक साइबर प्रोग्राम तैयार कर रही है, जो कनाडा के लिए कई स्तरों पर खतरा पैदा करते हैं।

इस पूरी टाइमलाइन को देखकर आप समझ ही गए होंगे कि किसी भी सरकार के अलावा पुलिस, मीडिया और ना जाने किस – किस फ्रंट पर जा कर कनाडा ने भारत को घेरने की कोशिश की थी। कनाडा ने भारत पर ढेरों आरोप तो लगा दिए, लेकिन कनाडा ये भूल गया कि उनको साबित करने के लिए सबूतों की भी जरूरत होगी, जो उसके पास थे ही नहीं।

हालांकि भारतीय इतिहास मे इसे बड़ी डिप्लोमैटिक जीत के रूप मे याद रखा जायेगा क्यूंकि शांत स्वभाव के भारत का ये तेज़ तेवर वाला अवतार जिस तरह इस केस मे देखने मिला वैसा पहले कभी भी नहीं देखा गया था। शायद कनाडा ने भी इसकी कल्पना नहीं की थी।

भारत ने कनाडा हर मंच और हर मौके पर कड़ा जवाब दिया। दीवाली के मौके पर कनाडा में कई जगह हिंदुओं के कार्यक्रम रद्द होने पर भी भारत सरकार ने कनाडा की सरकार को घेरा। साथ ही कनाडा में हिंदुओं पर लगातार हो रहे हमलों, हिंदु धर्मस्थलों पर हुए हमलों को लेकर पर भी कनाडा की सरकार के सामने आपत्ति जताई।

भारत का कड़ा रुख रखना एक बड़े गैंबल के जैसा ही था क्यूंकि ना चाहते हुए भी हमे ये मालूम था कि वहां भारतीय बड़ी संख्या में रहते हैं। अगर हमने कड़ाई दिखाई तो कनाडा सरकार उन्हें परेशान करेगी। कनाडा ने ऊलजलूल नियम बनाकर ऐसा करने का प्रयास भी किया लेकिन भारत ने इस बार तय कर रखा था कि इस बार विरोधी को ही झुकना पड़ेगा।

इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी कनाडा की कई बार किरकिरी हुई। एक बार तो खुद पीएम ट्रडो को सबूत के सवाल पर जवाब देना भारी पड़ गया था। उनका ‘ट्रस्ट मी ब्रो’ वाला पैंतरा इस बार नहीं चला और भारत की छवि खराब करने वाली उनकी चाल अब सबके सामने आ चुकी है।

भारत ने शुरू से ही इन आरोपों को खारिज किया है। कनाडा पर खालिस्तानी गतिविधियों पर कंट्रोल न कर पाने का आरोप भी लगाया है। भारत का कहना है कि कनाडा ने अपने यहां चरमपंथियों को शह दी है, जिससे दोनों देशों के रिश्ते बिगड़े हैं। जस्टिन ट्रूडो के बयान के बाद भारत ने कनाडा के साथ व्यापार वार्ता को निलंबित कर दिया और राजनयिक गतिविधियों में कटौती कर दी। इसका असर दोनों देशों के बीच जारी व्यापार और समझौतों पर भी पड़ा है।

अब भारत की फटकार और कड़े रुख के बाद कनाडा सरकार के सुर बदल गए हैं। कनाडा सरकार ने सिख आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर मामले में एक बयान जारी कर पीएम मोदी और अन्य भारतीय अधिकारियों पर लगे आरोपों को खुद ही निराधार बताया है।

कनाडा सरकार ने एक बयान जारी कर कहा कि, “उन्होंने यह कभी नहीं कहा कि पीएम मोदी, जयशंकर और डोभाल का कनाडा में हुई किसी भी गंभीर आपराधिक गतिविधि से कोई संबंध है। इसे लेकर किसी सबूतों के बारे में उसे जानकारी नहीं है। कनाडा के प्रिवी काउंसिल और पीएम ट्रुडो के नेशनल सिक्योरिटी सलाहकार ने अपने बयान में कहा कि ऐसा कोई भी आरोप तथ्यात्मक रूप से गलत और अटकलें लगाने वाला है।” हालांकि, अभी भी कनाडा की ओर से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर लगाए गए आरोपों को लेकर कुछ नहीं कहा गया है। 29 अक्टूबर को कनाडा के उप विदेश मंत्री डेविड मॉरिसन ने कनाडा की संसदीय समिति के सामने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का जिक्र किया था।

भारत ने कनाडा को दो टूक कहा है कि खालिस्तानी तत्वों को पनाह देने की नीति को तुरंत खत्म कर देना चाहिए। कनाडा की सफाई के बावजूद दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव आगे बरकरार रहेगा। क्यूंकि ये आग शहरों मे बड़ी दूर तक फैल चुकी है जिसे बहुत आसानी से नहीं बुझाया जा सकता।

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