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Fourth Special

आज की तारीख – 16: UNO की स्थापना…कल का मजबूत संगठन आज ज्यादा भरोसेमंद नहीं!

UNO कभी महत्वपूर्ण संगठन था लेकिन बड़ी आबादी आज इस पर भरोसा नहीं करती। इसका अस्तित्व संकट मे है।

Last updated: अक्टूबर 24, 2024 4:52 अपराह्न
By Rajneesh 1 वर्ष पहले
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5 Min Read
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2 सितंबर 1945 आधिकारिक तौर पर द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति हो चुकी थी। जब तक युद्ध समाप्त हुआ तब तक दुनिया के कई हिस्से खंडहर में तब्दील हो चुके थे। यूरोपीय देश जैसे जर्मनी, पोलैंड, फ्रांस और ब्रिटेन मे बमबारी ने शहरों को नष्ट कर दिया था। बर्लिन शहर पूरी तरह से तबाह हो चुका था। लाखों लोग बेघर हो गए थे, और शहरों में बचे हुए लोग मलबे के बीच अपने घरों की तलाश कर रहे थे। खेत और औद्योगिक क्षेत्र बर्बाद हो चुके थे, और भूख का संकट गहराया हुआ था। लोगों के पास मेडिकल सुविधाओं की भी भारी कमी थी।

6 अगस्त को जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु हमलों ने शहरों को श्मशान की राख में बदल दिया था। हजारों लोगों की जानें गई थीं, और जो लोग बचे थे वे गंभीर बीमारियों और रेडिएशन की समस्याओं से जूझ रहे थे।

लाखों लोग युद्ध के बंदी थे, और यह एक बड़ा मानवीय संकट था। यूरोप और एशिया में कई शरणार्थी शिविर बनाए गए थे, जहां लोग अस्थाई तौर पर रह रहे थे। युद्ध के बाद आर्थिक पुनर्निर्माण की जरूरत थी। युद्ध के बाद का राजनीतिक परिदृश्य भी बहुत बदल चुका था। अमेरिका और सोवियत संघ महाशक्तियों के रूप में उभरे थे, और शीत युद्ध की शुरुआत होने वाली थी। युद्ध ने राष्ट्र संघ की विफलता को स्पष्ट कर दिया था, और संयुक्त राष्ट्र संघ यानी UNO का गठन शांति बनाए रखने और अंतरराष्ट्रीय समस्याओं का समाधान करने के लिए किया गया था।

संयुक्त राष्ट्र की स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को यानी आज ही के दिन हुई थी। तब से आज के दिन को UNO डे के रूप मे भी मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना का उद्देश्य विश्व में शांति स्थापित करना और मानवाधिकारों की रक्षा करना था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुई विनाशलीला ने मानव जाति को एक बड़े सबक के रूप में सिखाया कि यदि शांति और सहयोग के लिए कोई वैश्विक मंच न हो, तो संघर्ष और विनाश की संभावनाएं अधिक हो जाती हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन इस विचारधारा के तहत हुआ कि देशों के बीच संवाद, समझ और सहयोग स्थापित किया जाए। शुरू में यूएन में सिर्फ़ 51 सदस्य देश थे, लेकिन आज 193 देश इसके सदस्य हैं। 

अपनी स्थापना के बाद से, संयुक्त राष्ट्र ने अनेक मानवीय, पर्यावरणीय और शांति-रक्षा के कार्य किए हैं, जिनमें 75 से अधिक देशों में 90 मिलियन लोगों को भोजन उपलब्ध कराना, 34 मिलियन से अधिक शरणार्थियों की सहायता करना, 71 अंतर्राष्ट्रीय शांति मिशनों को अधिकृत करना, प्रति वर्ष लगभग 50 देशों को उनके चुनावों में सहायता प्रदान करना और विश्व के 58 प्रतिशत बच्चों को टीकाकरण उपलब्ध कराने सहित कई सराहनीय कार्य शामिल हैं।

हालांकि, समय के साथ संयुक्त राष्ट्र की छवि में गिरावट आई। आरोप लगाए जाते हैं कि यह संस्था कुछ शक्तिशाली देशों के हाथों में एक खिलौना बनकर रह गई है। UNSC में अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, और ब्रिटेन के वीटो पावर ने कई बार इस बात को प्रमाणित भी किया है।

सीरिया संकट में संयुक्त राष्ट्र की निष्क्रियता और इजराइल-फिलिस्तीन विवाद में स्पष्ट नीति की कमी पर भी सवाल उठते रहे हैं। इसके अलावा, यमन में चल रहे मानवीय संकट और अफ्रीका में लगातार हो रही जातीय हिंसा पर भी संयुक्त राष्ट्र के रवैये पर सवाल उठते हैं। इसके अलावा 1994 का रवांडा मिशन, हैती में हैजा, सूडान में संकट, यूएनओ की असफलता के कुछ बड़े उदाहरण हैं।

आज की स्थिति में, संयुक्त राष्ट्र के अस्तित्व पर सवाल खड़े हो रहे हैं। बहुत से लोगों का मानना है कि यह संगठन अपनी मूलभूत जिम्मेदारियों को निभाने में असफल रहा है। दुनिया की 27 प्रतिशत आबादी इस संगठन पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं करती है। बदलते समय के साथ संयुक्त राष्ट्र को अपने कार्य और नीतियों में बदलाव की आवश्यकता है। सुरक्षा परिषद में सुधार की बात लंबे समय से की जा रही है, ताकि इसमें विभिन्न विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व और बढ़ाया जा सके।

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