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Reading: नहीं रहा बिहार का चहेता लाल, बेदाग रहा लंबा राजनीतिक जीवन
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India

नहीं रहा बिहार का चहेता लाल, बेदाग रहा लंबा राजनीतिक जीवन

देश की राजनीति मे एक बड़ा शून्य उत्पन्न हो गया है।

Last updated: मई 14, 2024 6:04 अपराह्न
By Rajneesh 1 वर्ष पहले
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4 Min Read
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बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का कल देर शाम निधन हो गया। उनके जाने से बिहार और देश की राजनीति मे एक बड़ा शून्य उत्पन्न हो गया है। बीजेपी के कद्दावर नेता अब भले इस दुनिया नहीं हैं, लेकिन उनके राजनीतिक और व्यक्तिगत जिंदगी से काफी कुछ सीखा जा सकता है। सुशील मोदी वो नेता थे जो दुश्मनी में भी एक मर्यादा कायम रखते थे। उनकी पहचान एक जुझारू नेता के रूप में की जाती रही है।

सुशील मोदी जेपी आंदोलन की उपज माने जाते थे। उनकी छात्र राजनीति की शुरुआत साल 1971 में हुई। उस वक़्त वो पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ की 5 सदस्यीय कैबिनेट के सदस्य निर्वाचित हुए थे। 1977 से 1986 तक वो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में महत्वपूर्ण पदों पर रहे। सुशील के साथ साथ नीतीश कुमार का भी उदय जेपी आंदोलन से हुआ था। उसके बाद से ही नीतीश कुमार और सुशील मोदी की दोस्ती की मिसाल दी जाती रही है। नीतीश कुमार ने बीजेपी से नाता तोड़ा तो उन्होंने कहा था कि सुशील मोदी होते तो यह नौबत ही नहीं आती। लेकिन अंतत नीतीश ने फिर बीजेपी से गठबंधन कर लिया। कहा जा सकता है कि, कुदरत भी चाहती थी कि दोनों दोस्त अंतिम वक्त में भी दोस्त ही रहें।

जेल भी जाना पड़ा

अपने राजनीतिक जीवन में उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। पहले जेपी आंदोलन, फिर आपातकाल और उसके बाद राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया। आपातकाल के दौरान गिरफ्तारी के बाद वे 19 महीने तक जेल में रहे थे।

गोलीयों से बाल बाल बचे

एक बार पटना विश्वविद्यालय के करीब बमों के धमाके और गोलियां चलने की आवाज सुनाई देने लगी। सुशील कुमार मोदी अपनी स्कूटर पर उसी इलाके से गुजर रहे थे। अपराधियों ने उन पर भी हमला किया। हालांकि सुशील कुमार मोदी को गोली नहीं लगी। लेकिन बम के दो चार स्प्रिंटर उन्हें जरूर लगे थे।

लालू के जंगल राज मे हुए कई हमले

उन पर कई बार जानलेवा हमला किया गया। लाठी डंडों से पिटाई भी की गई। लेकिन सुशील कुमार मोदी ने राष्ट्रीय जनता दल और लालू यादव की सरकार के खिलाफ लड़ाई जारी रखी थी। बाद मे उन्होने लालू के घोटालों और जंगल राज पर ‘लालू लीला’ नाम की किताब भी लिखी थी।

राजनीति करियर भी अद्भुत रहा

सुशील कुमार मोदी तीन बार बिहार विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं। वे पहली बार 1990 में विधायक चुने गए, उसके बाद 1995 और 2000 में भी। इसके बाद से वे लगातार बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे। 2020 में राज्यसभा के सांसद चुने गए। सुशील मोदी देश के उन नेताओं में शामिल रहे है, जो चारों सदन के सदस्य रहे हैं।

लंबे राजनीतिक जीवन में सुशील मोदी पर कोई भी दाग नहीं लगा। उनके जैसे राजनेता का जाना देश के लिए एक बड़ी क्षति है।

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TAGGED: Bihar, bjp, Former Deputy Chief Minister, Patna University Students Union, political life, Sushil Kumar Modi, thefourth, thefourthindia
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