By using this site, you agree to the Privacy Policy
Accept
October 29, 2025
  • World
  • India
  • Politics
  • Sports
  • Business
  • Tech
  • Fourth Special
  • Lifestyle
  • Health
  • More
    • Travel
    • Education
    • Science
    • Religion
    • Books
    • Entertainment
    • Food
    • Music
Reading: वही दिन, वही दास्तां : कर्पूरी ठाकुर का जन्म…उनके मुख्यमंत्री चुने जाने वाले दिन पिता को जमींदार ने पीटा था!
Font ResizerAa
Search
  • World
  • India
  • Politics
  • Sports
  • Business
  • Tech
  • Fourth Special
  • Lifestyle
  • Health
  • More
    • Travel
    • Education
    • Science
    • Religion
    • Books
    • Entertainment
    • Food
    • Music
Follow US
images 3 -
Fourth Special

वही दिन, वही दास्तां : कर्पूरी ठाकुर का जन्म…उनके मुख्यमंत्री चुने जाने वाले दिन पिता को जमींदार ने पीटा था!

भारतीय राजनीति आज दलित और पिछड़ों के इर्द-गिर्द घूमती है।

Last updated: जनवरी 24, 2025 2:24 अपराह्न
By Rajneesh 9 महीना पहले
Share
5 Min Read
SHARE

भारतीय राजनीति आज दलित और पिछड़ों के इर्द-गिर्द घूमती है। लेकिन एक ऐसा समय भी था, जब राजनीति पर उच्च वर्गों का प्रभुत्व हुआ करता था और दलित या पिछड़े वर्ग के लोगों का राजनीति में प्रवेश लगभग असंभव माना जाता था, ऐसे में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ‘करपुरी ठाकुर’ का मुख्यमंत्री बनना भी किसी क्रांतिकारी घटना से कम नहीं था। यह वह समय था जब जातिगत भेदभाव और सामाजिक विषमताएं चरम पर थीं। दलित और पिछड़े वर्ग के नेताओं को न केवल भेदभाव का सामना करना पड़ता था, बल्कि उनके संघर्षों को भी राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर दबाने की कोशिश की जाती थी।

बिहार के एक पत्रकार के अनुसार, उनके मुख्यमंत्री चुने जाने वाले दिन की ही एक घटना से आपको अंदाजा लग जायेगा कि वो दौर कैसा था। घटना उस वक्त की है जब कर्पूरी ठाकुर मुख्यमंत्री बने। उसी दिन उस गांव के जमींदार ने कर्पूरी ठाकुर के दादा को अपने ड्योढ़ी पर बुला कर बेंत से पीटा था। यह वह वक्त था जब उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद गांव और आस-पास के गांवों से लोग उनके पुश्तैनी घर जश्न मना रहे थे। कर्पूरी ठाकुर के पिता जी घर आए लोगों की आवभगत कर रहे थे। इस वजह से वे स्थानीय जमींदार के घर उनकी दाढ़ी बनवाने के लिए देर से पहुंचे थे। जमींदार के घर जाना उनका नियमित का काम था। उस दिन आने में देर हुई तो वहीं के जमींदार ने देरी से आने के लिए उनके पिता को बेंत से पीटा। जब उन्हें ये बात पता चली तो वे मुख्यमंत्री चुने जाने के बावजूद जमींदार की दाढ़ी बनाने के लिए पहुँच गए।

कर्पूरी ठाकुर का नाम भारतीय राजनीति और समाजवाद की धारा में एक अमिट छाप छोड़ गया है। बिहार के इस साधारण परिवार से आए नेता ने अपनी सादगी, निष्ठा और जनता के प्रति ईमानदारी से वह कर दिखाया, जो आज भी प्रेरणा का स्रोत है। उनका जीवन सिर्फ एक व्यक्ति का संघर्ष नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में चलाए गए एक आंदोलन का प्रतीक है।

कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी 1924 को बिहार के समस्तीपुर जिले के पितौंझिया गांव (अब करपुरी ग्राम) में हुआ। उनका परिवार अत्यंत साधारण था। उनके पिता गोकुल ठाकुर नाई का काम करते थे और परिवार की आजीविका मुश्किल से चलती थी। बचपन से ही आर्थिक कठिनाइयों का सामना करते हुए करपुरी जी ने अपनी पढ़ाई जारी रखी। उन्होंने हाई स्कूल तक की शिक्षा हासिल की, लेकिन आर्थिक बाधाओं के कारण उन्हें पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी।

उनका झुकाव बचपन से ही सामाजिक न्याय और समाजवाद की ओर था। पढ़ाई के दौरान ही वह महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित हुए और स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में उनकी सक्रिय भागीदारी रही, जिसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा।

कर्पूरी ठाकुर स्वतंत्रता संग्राम के दौरान समाजवादी विचारधारा से जुड़े। उन्होंने राम मनोहर लोहिया के विचारों को आत्मसात किया और स्वतंत्रता के बाद भी सामाजिक बदलाव के लिए संघर्ष करते रहे। 1952 में वह पहली बार बिहार विधानसभा के सदस्य बने। उनकी राजनीति का आधार समाज के पिछड़े और दबे-कुचले वर्ग थे, जिनके अधिकारों के लिए उन्होंने जीवनभर काम किया।

कर्पूरी ठाकुर दो बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। पहली बार 1970 में और दूसरी बार 1977 में। उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल को उनके क्रांतिकारी फैसलों के लिए याद किया जाता है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण था मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करना। यह फैसला सामाजिक न्याय की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम था, जिसने पिछड़े वर्गों को शिक्षा और रोजगार में आरक्षण का लाभ दिया।

उनकी सादगी ऐसी थी कि मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वह अपने गांव के घर में रहते थे। सरकारी सुख-सुविधाओं से दूर, उन्होंने जनता के लिए राजनीति को सेवा का माध्यम माना। उनके कपड़े साधारण होते थे और वह आम लोगों के बीच बिना किसी भय के घुल-मिल जाते थे। राजनीति में जहां धनबल और बाहुबल का बोलबाला था, वहीं करपुरी जी ने अपने आदर्शों से जनता का विश्वास जीता।

कर्पूरी ठाकुर का निधन 17 फरवरी 1988 को हुआ। उनके निधन के बाद भी उनकी विचारधारा और योगदान को लोग याद करते हैं। उन्होंने जो राजनीतिक और सामाजिक धारा शुरू की, वह आज भी प्रासंगिक है। पिछले साल इसी दिन उन्हें भारत रत्न से नवाजा गया था।

You Might Also Like

यदि कविता न होती?

ट्रंप बंद करेंगे Department of Education…इससे क्या बदलाव होंगे?

गेर में जमकर उमड़ा इंदौरियों का उल्लास

वो पुराने दिन : विद्रोह से जलता तिब्बत और भारत-चीन का संघर्ष

International Day of Happiness में जानिये की ख़ुशी जीवन का सार है या मात्र एक छलावा?

TAGGED: backward classes, bihar politics, dalit rights, india history, karpuri thakur, social justice, social reform, thefourth, thefourthindia
Share This Article
Facebook Twitter Whatsapp Whatsapp LinkedIn
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0

Follow US

Find US on Social Medias

Weekly Newsletter

Subscribe to our newsletter to get our newest articles instantly!

Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
Loading

Popular News

NEPAL ACCIDENT AVIATION 0 1703827460151 1703827460471 -
India

नेपाल प्‍लेन क्रैश: पायलटों की गलती की वजह से हुआ हादसा

2 वर्ष पहले

आज की तारीख – 2: चाँद को पहली बार छुने वाला ‘लुना 2’ हुआ था लॉन्च, आजतक कोई मानव नहीं भेज पाया रूस!

पिता की यादों वाला बंगला बेटी को दान किया बच्चन ने !

WHO ने दी दुनिया के दूसरे मलेरिया टीके को मंजूरी।

गौरव गोगोई ने पेश किया स्थगन प्रस्ताव, असम सरकार के यात्रा खर्च पर सवाल

You Might Also Like

WhatsApp Image 2025 03 18 at 3.34.50 PM -
Fourth Special

होली के बाद अब रंगपंचमी पर होगी रंगों की बौछार

7 महीना पहले
WhatsApp Image 2025 03 18 at 4.02.02 PM -
India

औरंगज़ेब विवाद ने भड़का दी नागपुर में हिंसा!

7 महीना पहले
rowlatt act cultural india 3 -
Fourth Special

वही दिन, वही दस्तां : आज लगा था बेड़ियों में बांधने वाला Rowlatt Act जिसने भड़काई क्रांति की चिंगारी !

7 महीना पहले
WhatsApp Image 2025 03 18 at 3.06.18 PM -
World

गाज़ा में इज़राइली हवाई हमलों से भारी तबाही, 330 से अधिक मौतें

7 महीना पहले
  • About Us
  • Contact
  • Privacy Policy
  • Careers
  • Entertainment
  • Fashion
  • Health
  • Lifestyle
  • Science
  • Sports

Subscribe to our newsletter

Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
Loading
© The Fourth 2024. All Rights Reserved. By PixelDot Studios
  • About Us
  • Contact
  • Privacy Policy
  • Careers
Welcome Back!

Sign in to your account

Register Lost your password?